जोगी

जोगी षब्द जुबान पे आते ही ज्ञात होता है की मांग
खाकर जीवन यापन करने वाली जाति की बात है
जोगी जाति का इतिहास बहुत पुराना है देवो के देव महादेव
अपनी तपस्या मे लीन रहते थे।
मन मे विचार आया की लीला की जाय,महादेव ने लीला रची।

 

1 जोगियो की उत्पत्तिः
महादेव की लीला अनुसार गौरा के मन मे विचार
आया कि भोले नाथ 12 साल की नींद मे भांग
धतुरा खाकर सो जाते हैं। मै अकेली कैलाष मे
रहती हुॅ।मेरा अकेली का मन उदास रहता है
इसलिए मन बहलाने को एक बच्चा होना चाहिए।
भोले नाथ ने पार्वती की इच्छानुसार एक धुने
की राख का ;भसमद्ध पिण्ड बनाया। उस पिण्ड का
लडका बना भस्मासुर । पिण्ड बनाकर महादेव 12
साल की नींद भर गये 9 माह मे भस्मासुर का
जन्म हो गया और पार्वती के साथ 11 साल तक
भस्मासुर रहा।
पार्वती भस्मासुर से प्रेम करने लगी और
भस्मासुर से कहाॅ मैं तुम्हारी होकर रहना चाहती
हुॅ। तो पार्वती ने बताया कि तुम महादेव की
सेवा मे खडे हो जाव तो भस्मासुर हाथ मे तुंबी
लेकर एक पैर से महादेव की सेवा करने लगा। 3
माह बाद भोले नाथ की आंख खुली तो
भस्मासुर की सेवा से प्रसन हुआ।
महादेवः- मांग बच्चा क्या मांगते हो मैं तुम्हारी
सेवा से खुष हुॅ। तो भस्मासुर ने पार्वती
अनुसार भोले नाथ को वचन भरने के लिए कहाॅ
महादेव ने वचन भर लिया। तो भस्मासुर ने छैल
कडा मांग लिया।
महादेव जी ने सन्न रहे गये। और पार्वती
मुस्कुराने लगी। महादेव ने छैल कडा षैली
सिंगडी एक जगह बांधकर दुर फेक दी। महादेव
जी गुफा या सुरंग मे बडी पत्थर की सिला
लगाकर छीप गया। क्यो कि छैल कडा षैली
सिगंडी महादेव की पुरी षक्ति इनमे थी। क्यो
की जब इनको उपर उछालते थे। या किसी के
सर पर रख देते थे। और कहते थे कि महादेव
की कृपया से हो भस्म तो वे व्यक्ति या वस्तु
खत्म हो जाती थी।
षंकर भगवान को मुसीबत मे देख विश्णु भगवान
पार्वती का रूप धारन कर आये और भस्मासुर से
बोले महादेव तो डर के छिप गया है अब तुम
और मैं प्रेंम से जीवन बितायेगें तो भस्मासुर
राजी हो गया और पार्वती से ;विश्णु भगवानद्ध
प्रेंम की जीद करने लगा तो पार्वती ने कहाॅ ऐसे
प्रेंम नही करूंगी तुम्हे मुझ से प्रेंम करना है तो
भोले नाथ की तरह तांडव नृत्य करना पडेगा
कडा व षैली सिंगडी को उछालते हुऐ। भस्मासुर
को ज्ञात नही था कि षैली सिंगडी मे क्या
ताकत है। जैसे ही भस्मासुर ने तीनो को उछाला
तो विश्णु भगवान जो पार्वती के रूप मे थे कहाॅ
हो महादेव की कृपया से भस्म। भस्मासुर भस्म
हो गया। षैली सिंगडीयो को लेकर विश्णु
भगवान ने महादेव को गुफा से बाहर बुला लिया
तो महादेव ने विश्णु भगवान से पुछा की तुमने
भस्मासुर को कैसे भस्म किया। विश्णु भगवान के
बार बार मना करने पर भी भोले नाथ नही माने
तो विश्णु भगवान ने 36 रूप नारी के नारी
श्रृंगार करके दिखाया तो महादेव का विर्य
स्ंगलन हो गया। धरती पे गिरे तो धरती फट
जाय। तो विश्णु भगवान ने एक नलिका मे
इक्कठा कर लिया और महादेव से बोले अब मैं
इसका क्या करू तो महादेव जी बोले अंजनी मेरी
तपस्या मे लीन है। मेरी बहुत बडी भक्त है।
सिर्फ इसको वही ग्रहण करने मे सक्षम है। अगर
नीचे गिरा तो महा प्रलह हो जायेगी। विश्णु
भगवान ने नली के माध्यम से महादेव जी के
अंष को नली के द्धारा अंजनी के कान मे डाल
दिया तो विश्णु भगवान के हाथ भी गंदे हो गये
एक बुूंद अंष की दूब पर गिर गई उस दूब यानी
घास को गाय खा गई गंदे हाथो को विश्णु
भगवान ने समंुद्र मे जाकर धोया तो पैदा हुआ
जलन्दर नाथ,जल मे मछली खा गई तो पैदा
हुआ मछन्दर नाथ, कुछ अंष पवन मे घुल गया
तो पैदा हुआ पवन नाथ,अंजनी के पैदा हुआ
हनुमान गाय ने जब गोबर किया तो गोरख नाथ
का जन्म हुआ। जोगी जाति मे 9 नाथ और 12
पंथ होते है।
दौहाः-जोगी जग्गाम सेवडा,सन्यासी दुरभेश
छठो लेख ब्रहम को, जाके मिनन मेख
गोरख नाथः
गुरू गोरख नाथ का जन्म गाय के गोबर से
हुआ वहा पर एक कुम्हारी जंगल मे सुखे
गोबर के टुकडे उपडा इक्कठा कर रही थी
तो गोबर मे गोरख नाथ अंगुठा चुस रहे थे
तो कुम्हारी ने बच्चे को छिपाकर अपने घर
लेकर आयी और कुम्हार प्रजापत के बारे मे
बताया तो कुम्हार ने कहा हम निःसंतान है
ये भगवान की कृपया है कि हमारे घर ये
लडका आ गया है। हम निःसंतान नही
रहेंगे। गोरख नाथ कुम्हार के घर पुत्र
बनकर गधा चराने लगा। गोरख नाथ की
दुआ से कुम्हार के घर भी एक और पुत्र का
जन्म हुआ। अब वो निःसंतान नही रहे। पुत्र
जन्म के बाद से कुम्हारी गोरख से भेदभाव
करने लगी जिससे कुम्हार का मन भी उदास
रहने लगा। अब कुम्हारी दो रोटी खाने के
लिये कुम्हार को ही भेजती कुम्हार अपने दो
रोटीयो मे से एक रोटी गोरख नाथ को
खिला देता और एक रोटी स्वयं खाता था।
एक दिन कुम्हार ने बर्तन का अहवा चढा
दिया था और गोरख से बोला की बोल बेटा
इस अहवा कच्चे बर्तनो को पकाने वाला
कुआ मे कितने बर्तन पक कर तैयार होंगे
तो गोरख नाथ ने कहा दौहा गोरख:-
बाबा को हेत, माई को कुरहेत
आदा मे कंचन, आदा मे रेत
गोरख ये आर्षीवाद देते हुए कुम्हार के घर
से प्रस्थान करके निकल जाता है। गुरू
गोरख नाथ के चैदह सौ चेले गुप्त थे और
चैदह सौ चेले उजागर थे गुरू गोरख नाथ
वनो मे घुमते हुए जोगी समाज की परम्परा
को बढाने मे लगे हुए थे। गोरख नाथ के
षिश्यो मे ओद्यड नाथ का महत्वपूर्ण स्थान
है
मेवाती जोगीः-
मेवात अंचल मे तीन प्रकार के जोगी पाये जाते है।
1 हिन्दु जोगीः- हिन्दु जोगी अलवर भरतपुर क्षेत्र में
ज्यादातर निवास करते है। गाना बजाना पुषैतेनी पेषा है।
हिन्दु जोगी गुरू गोरख नाथ के षिश्य ओद्यड नाथ जी के
षिश्य कहलाते है। इनके प्रमुख वाद्य
बकरी की मषकः- बकरी की मषक लोक वाद्य पुर्वी
राजस्थान मे ही बजाया जाता है।
उत्पत्तिः-बकरी की मषक की उत्पत्ति के बारे मे भी एक
कथा छिपी हुई है।
कथाः-राजा दक्ष यानी पार्वती के पिता ने यज्ञ किया
जिसमे सब राजा महाराजाओ व राजकुमारो को निंमत्रण
भेजा। मगर भोले नाथ को निंमत्रण नही दिया पार्वती बोली
मेरे पिता के यज्ञ है। मैं इस अवसर पर अपने पिहर माईका
जरूर जाउंगी। भोले नाथ ने मना किया और कहा बिना
निंमत्रण के किसी का भी उचित आर्दष सतकार नही होता
है। तो पार्वती ने कहा मेरे पिता के यहा मैं जरूर जाउंगी।
मैं देखती हुॅ मुझे उचित सम्मान मिलेगा या नही। तो
पार्वती जीद कर दक्ष के यज्ञ मे पहॅुच गई। राजा दक्ष से
उचित सम्मान नही मिलने पर पार्वती ने अपने आप को
हवन कुण्ड मे समाहित कर प्राणो की आहुति दे दी थी।
भोले नाथ द्धारा भेजे गये गणो ने राजा दक्ष का वध कर
दिया। चारो तरफ हा हा कार मच गया।
षंकर भगवान ने आकर राजा के मंत्री व दरबारीयो से कहा
कि राजा दक्ष पुनः जिवित जब होगें जब षहर के बाहर
कोई भी जीव प्रातः मिले उसका सर लेकर आना है। दुसरे
दिन प्रातः परकोटो के बाहर एक बकरी मिली तो दरबारीयो
ने पकड कर भोले नाथ को देकर बकरी का षीष राजा
दक्ष को लगा दिया। राजा के मुख से प्रथम षब्द ब…ब….ब.
…ब… निकला। वही ब….ब….ब….ब….बम लहरी षिव स्तुति मे
षिवजी का ब्यावहला गाया जाता है। बकरी का षेश भाग
को धड सहित हिन्दु जोगियो का वाद्य बकरी की पुंगी/
बकरी की मषक बना कर षिव का गुनगान और समय के
साथ साथ भैरू जी कथा,राजा भर्तहरी,निहाल्दे,दुल्ला धाडी
की कथाये गाने लगें।
हिन्दु जोगियो की जीजमानी प्रथाः-
हिन्दु जोगियो कि जीजमानी
जाठ,गुर्जर,सैनी,राजपुत,बनिया,यादव,वर्मा,मीणा इत्यादि सभी
जातियो मे घर घर जाकर भिक्षा मांग कर जीवन यापन
करते है।
जोगी सर्प पकड कर लाते थे। जब कभी किसी को सर्प
खा जाता था तो उसका इलाज भी करते थे। पषुओ की
दवाई भी देते थे। फसलो मंे लगने वाले कीट को भी मंत्रो
द्धारा ग्रामीण सीमा से बाहर कर देते थे।
जिससे गावं मे जोगी को प्रत्येक घर से फसल उठने के
मोके पर लगान बतौर पाॅच पुळी,त्यौहारो के अवसर पर
जोगी को अच्छा पकवान भी मिलता है।
हिन्दु जोगियो के षादी विवाह हिन्दु परम्परा के अनुसार
होने लगें। रहन सहन भी हिन्दुओ जैसा था।
2. षुद्धि जोगीः-
षुद्धि जोगी आर्य समाज द्धारा षुद्धि आंदोलन मे हिन्दु
जोगी,मुस्लिम जोगी तथा कुछ निम्न जातियो को षुद्धि
जोगी बनाया गया क्यो कि पहले से जोगी थे। इसलिये
गाना बजाना पुषतैेनी पेषा रहा। इनकी गायन षैली और
लोक वाद जोगिया सांरगी,खंजरी,रही।
षुद्धि जोगियो की जीजमानी प्रथाः-
षुद्धि जोगियो कि जीजमानी
जाठ,गुर्जर,सैनी,राजपुत,बनिया,यादव,वर्मा,मीणा इत्यादि सभी
जातियो मे घर घर जाकर भिक्षा मांग कर जीवन यापन
करते है।
जोगी सर्प पकड कर लाते थे। जब कभी किसी को सर्प
खा जाता था तो उसका इलाज भी करते थे। पषुओ की
दवाई भी देते थे। फसलो मंे लगने वाले कीट को भी मंत्रो
द्धारा ग्रामीण सीमा से बाहर कर देते थे।
जिससे गावं मे जोगी को प्रत्येक घर से फसल उठने के
मोके पर लगान बतौर पाॅच पुळी,त्यौहारो के अवसर पर
जोगी को अच्छा पकवान भी मिलता है।
षुद्धि जोगियो के षादी विवाह हिन्दु परम्परा के अनुसार
होने लगें। रहन सहन भी हिन्दुओ जैसा था।
3. मुस्लिम जोगीः-
मेवात अंचल मे मुस्लिम जोगी जाति का इतिहास बहुत
पुराना है। मुस्लिम जोगी जाति का उद्भव बंगाल मे
कामख्या देवी/ कुमका देवी से है। गोरख नाथ का षिश्य
ओद्यड नाथ था। उसका षिश्य इस्माईल नाथ सहजा जोगन
का पुत्र था। सहजा जोगन जादु के क्षेत्र मे जानी पहचानी
जाती थी। इस्माईल नाथ जादु मे निपुण थे। कुमका देवी
बडे बडे जादुगरो, साधु संतो को तोता,कबुतर,बिल्ली, जादु
के बल पर बना रही थी। इस्माईल नाथ जोगी ने कुमका
देवी को जादु से तंत्र मंत्र द्धारा गधी बना कर मुस्लिम
जोगी जाति का धर्म चलाया।
दोहाः- भपंग-भपंग सब करे,भपंग है अपने हाथ
भ से भोले प से पडित ग से गोरख नाथ
गोरख के ओद्यड हुए,ओद्यड के इस्माईल नाथ
वाकी हम औलाद है सुनो हमारी बात
मुस्लिम जोगी सम्प्रदाय गोरख नाथ को अपना सबसे बडा
गुरू मानते है।
मुस्लिम जोगियो की जीजमानी प्रथाः-
मुस्लिम जोगियो कि जीजमानी
मुस्लिम जोगीयो की मेवात अंचल मे आबादी बहुत है। जहा
मेव जाति बाहुलय क्षेत्र है। मेवो के 12 गोत्र/ पाल है। 13
वा पहाट का पल्लाखडा है। मेवो मे जोगी जाति के लोग
मांग खाकर जीवन यापन करते है।
मुस्लिम जोगी मेवो के गोत्रो को तीन भागो मे बांटते है।
1. पाॅच पाल तोमर वंष की है। जो पांडव वंषज है।
जोगी जाति के लोग पंडुन का कडा महाभारत
इनके लिये गाते है।
2. पाॅच पाल यदुवंषी है। जो कृश्ण जी के वंषज है।
इनके यहा चन्द्रावल गुजरी की बात कृश्णलीला
को सुनते है।
3. दो पाल राजा राम चन्द्र के वंषज है। इनके प्रमुख
रूप से लंका चढाई रामायण गाने का मुस्लिम
जोगी जाति काम करते है।
मेव अपने आप को क्षत्रिय मानते है। इसलिए मेवात
अंचल मे वीर रस और श्रृंगार रस को महत्व दिया
गया है। इसके अलावा मेवात क्षेत्र मे लगभग 40 लोक
कथाये प्रमुख रूप से गायी जाती है। मंेवात अंचल की
दोहा धानी गायन षैली है।

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