भपंग

भपंग एक डमरू नुमा एक तंतु लय प्रदान लोक
वाद्य है। मुस्लिम जोगियो द्धारा षिव रात्री पर षिवालयो
मे षिव स्तुति मे बजाया जाता है। भपंग का जन्म भी
इस्माईल नाथ जोगी ने किया था। भपंग पहले कडवी
लौकी का होता था। जहुर खाॅ मेवाती पहली बार लकडी
का भपंग बजाने लगे तथा बकरे के आंत के तार की बजाय
प्लास्टिक का तार का इस्तेमाल करने लगें। भपंग को
वादक बगल मे दबाकर दुसरे हाथ मे लकडी की किलडी/
गुटका से तार पर प्रहार करने पर भपंग बजता है।
भपंग एक नाम एनेक
बंगाल मे खमाक बाउल जाति द्धारा दो तार का बजाया
जाता है। गुजरात मे अपंग,राजस्थान मे भपंग,महाराश्ट मे
चैंडका,असम मे द्युडकी,हरियाणा मे तुंबा,पंजाब मे गुबचू/
बगल बच्चू,कर्नाटक मे इसे देव दासी बजाती है।
भपंग का गीत
या दुनिया मे देखो भाया भपंग कहा सु आयो
1. धरन नही अम्बर नही नाथे सुरज भान
पेषानी पे कुतबी तारो,हुये उजाडे भान
षंकर को अल्लाह ताला ने पहले बुत बनवायो
या दुनिया मे देखो……………………………
2. कांगरू देष मे कुमका देवी,दुनिया जाणे सारी
सहजा जोगन को है इस्माईल, वाकी चर्चा भारी
कुमका देवी कु बस मे करके, जोगी मुस्लिम धर्म
चलायो
या दुनिया मे देखो………………………………..
3. षंकर जी को डमरू है, बाजे याकी ताल
बीच मे सु तार निकाडो, पीछे लगादी खाल
इस्माईल नाथ जोगी ने मंदिर मे पहली बार बजायो
या दुनिया मे देखो………………………………….
मेवात के और लोक वाद्य
1.चिकाराः- मेवात मे चिकारा मेव जाति के ग्वालो द्धारा
भेंड बकरीयो को चराते समय बजाया जाता था। चिकारे के
तीन रूप है।
1. मेव चिकारा मे लोहे और पीतल के तारो का ही प्रयोग
किया जाता है।
2.सारंगी से छोटा रूप है। जिसमे तुरूप के तार, रोधे के
तार लगाये जाते है।
3.चिकारा मेवात मे आल्हा गायन के साथ बजाया जाता
था। जिसमे घोडे के पुछ के बालो को रोधो के तारो की
जगह तीन तार बालो के छल्ले बनाकर वादक बजाता है।
अलगोजाः- मेवात मे मेवाती अलगोजा एक होता है।
जो बांस से बनता है। स्वर के 7 छेद होते हैं। वादक 6
छेदो का ही बजाते समय इस्तेमाल करता है।
नगाडा, मटका, खंजरी, चिमटा, ढोलक, तबला-कुंडी,
टामक,ढप इत्यादि।

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